भारत में हर साल तकरीबन 30 लाख नई कारें बिकती हैं। इसके अलावा भारत में सेकंड हैंड कारों का भी विस्तृत बाजार है। भारत में हर महीनें लाखों यूज़्ड कारें खरीदी-बेची जाती हैं। भारत में सड़कों की खस्ता हालत को देखते हुए यूज़्ड कारों की अंदरूनी कंडीशन का सही-सही पता लगा पाना बेहद चुनौती वाला काम है।
पहली बार कार खरीदने वालों में से अधिकांश लोग सेकंड हैंड कार ही खरीदते हैं। इसकी कई वजहें होती हैं जैसे कि कुछ लोग पुरानी कार ड्राइविंग सीखने के पर्पज़ से लेते हैं तो कुछ लोग लो बजट के चलते सेकंड हैंड कार अपनाते है। इसके अलावा कुछ शौकिया लोग भी यूज़्ड कार मार्केट में अपने लिए उम्दा गाड़ी तलाशते रहते हैं।
अक्सर देखा गया है कि पहली बार सेकंड हैंड कार खरीदने वाले लोग कुछ खास बातों पर ध्यान नहीं देते हैं और जिसके बाद उनकी कार या तो अक्सर गैराज में दिखेगी या कुछ समय बाद कबाड़ में। यदि आप भी सेंकड हैंड कार लेने की सोच रहे हैं तो आप इन बातों पर गौर फरमा कर अपनी कार को गैराज व कबाड़ के चक्कर से बचा सकते हैं।
- सिर्फ बाहरी चमक—धमक पर भरोसा मत करें किसी जानकार मेकैनिक से कार के इंजन की परख
Photo Source - कार के टायर रिम आदि की सही से परख करवाएं।
- 50,000 किमी से कम चली गाड़ी को वरीयता दें।
- कोेशिश करें कि गाड़ी 5—6 साल से ज्यादा पुरानी न हो।
- गाड़ी का सर्विस रेकॉर्ड चेक कर ले, गाड़ी समय पर सर्विस हुई है या नहीं।
- गाड़ी के इंटीरियर की बारीकी से परख करें।
- लंबे टूर करने वाली गाड़ियों की अपेक्षा कम दूरी या लोकल में चली हुई गाड़ियों को वरीयता दें।
- गाड़ी के बारे में यह बात जान लें कि वह किसी ट्रैवेल्स में या कॉमर्शियल पर्पज में तो नहींं चली हुई है।